Wednesday 8 June 2016

कोल्ड स्टार्ट के प्रति पड़ोसी देशों की नीति और भारतीय रणनीति

कोल्ड स्टार्ट के प्रति पड़ोसी देशों की नीति और भारतीय रणनीति

कोल्ड स्टार्ट एक सैन्य सिद्धांत है जिसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ संभावित युद्ध को ध्यान में रखकर विकसित किया है। कोल्ड स्टार्ट सिद्धान्त के अनुसार आदेश मिलने के 48 घंटों के भीतर हमला शुरू किया जा सकता है। इतने कम समय में हमला करने से भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को आश्चर्यचकित कर देगी।
इस पद्धति में भारतीय सेना के विभिन्न हिस्सों को आक्रमण के लिए एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। इस तरह का अभियान पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में होगा। कोल्ड स्टार्ट सिद्धान्त का एक उद्देश्य युद्ध की स्थिति पाकिस्तान को परमाणु हमले से रोकना है, क्योंकि उसे जरा भी समय नहीं देना है।

उद्देश्य

इस योजना का मूल उद्देश्य तीव्रगति से हमले पर जोर दिया गया है। इसके बख्तरबंद वाहन और तोपखाना पाकिस्तान के इलाके में इसके अन्तर्गत कम से कम समय में प्रवेश कराया जा सकता है।
कोल्ड स्टार्ट सिद्धान्त को पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेनाओं को कुछ हफ्तों के स्थान पर केवल कुछ दिनों में ही तैनात करने के लिए बनाया गया था। इसका परीक्षण भी अभी युद्ध में किया जाना शेष है। इसका उद्देश्य है कि तत्काल लामबंदी और त्वरित हमले से पाकिस्तान आश्चर्यचकित रह जाएगा। इससे पाकिस्तानी प्रतिक्रिया के पहले ही भारत अपने उद्देश्यों को हासिल कर सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा युद्ध रोकने की पहल से पूर्व ही भारत अपने उद्देश्यों को पूर्ण कर चुका होगा।

पृष्ठभूमि

सेना लम्बे समय से एक सैन्य सिद्धान्त पर कार्य कर रही थी जो कि काफी पुराना पड़ चुका था। संसद भवन पर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सेनाओं की तैनाती के ऑपरेशन पराक्रम के दौरान इस सिद्धान्त की कई कमजोरियां प्रकाश में आईं। इनको दूर करने के कई प्रयास किए गए।
इसके बाद सेना ने एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया। परन्तु सेना की आक्रमणात्मक क्षमता में अत्यधिक वृद्धि करने वाले नए हथियारों को हासिल करने में विलंब हुआ। यहां तक कि भविष्य में एक युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली या दुश्मन सेना के पीछे से जाकर हमला करने वाली भारत की विशेष सेनाओं को भी अत्याधुनिक हथियारों से पूर्णतः सुसज्जित करना अभी भी बाकी है।


समस्याएं

पाकिस्तान को असुरक्षित स्थिति में दबोचने और परमाणु हथियारों की छाया में युद्ध से कई समस्याएं हैं। इस सिद्धांत के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन में भी कई किंतु-परंतु हैं। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का अंदाजा पहले से नहीं लगाया जा सकता और पाकिस्तान क्षेत्रों पर कब्जा बहुत कम समय के लिए हो सकता है क्योंकि उसे अधीन नहीं बनाया जा सकता। कुछ पाकिस्तानी प्रतिक्रियाओं में उनकी प्रतिरोधक रणनीति का महत्त्वपूर्ण संकेत मिलता है।
पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य कमांडरों का कहना है कि भारत की कोल्ड स्टार्ट की रणनीति पाकिस्तानी सैन्य क्षमता के गलत आकलन और गलत धारणा पर आधारित है। भारत के नए सैन्य सिद्धान्त से खतरनाक रोमांचवाद पैदा होगा जिसके परिणाम गैर इरादतन और अनियंत्रित होंगे। सीमित युद्ध इस उपमहाद्वीप को खतरनाक स्थिति में पहुंचा देगा।
भारतीय रणनीति जिसका उद्देश्य आश्चर्य और गति के साथ एक परंपरागत हमला करना है, इस तथ्य की अनदेखी करता है कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं। इन हथियारों को तेज गति से हमले में भी नष्ट नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान पूर्वानुमानित हमले की स्थिति में मिसाइलों की संख्या में वृद्धि कर सकता है।
वास्तव में कोल्ड स्टार्ट सिद्धान्त केवल पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में ही अपनाया जा सकता है।

सीमितता

पाकिस्तान से युद्ध सिर्फ भारत की समस्या नहीं। चीन एक दूसरा मोर्चा भी खोल देगा।
दो मोर्चों पर युद्ध एक अलग तरह का खेल होगा। दो मोर्चों पर युद्ध की रणनीति अभी सिद्धान्त रूप में आनी बाकी है। इस बात के संकेत हैं कि एक संभावित दो मोर्चों पर युद्ध की रणनीति के सिद्धान्त पर गहन चिंतन चल रहा है। चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सहयोग को देखते हुए यह संभव है कि भारत को दो मोर्चों पर युद्ध का सामना करना पड़े। भारत सिर्फ पाकिस्तान को ध्यान में रखकर कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत लागू नहीं कर सकता।
source: indiatimes

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