Sunday 30 October 2016

दबाव रहित पछतावा रहित जीवन: भगवन कृष्णा और भगवन बुद्ध से जवाब

दबाव रहित पछतावा रहित जीवन

अगर आज के समय में हम में से किसी को भी भगवन कृष्णा और भगवन बुद्ध से आज के सन्दर्भ में प्रश्न पूछा जाये तो उसका क्या जवाब मिलेगा

​१. आप - मुझे खाली समय ​और सुकून नहीं मिल पा रहा। जीवन बेहद ​जटिल हो गया है।

कृष्ण- गतिविधियां और एक ही ढर्रें पर किए जा रहे काम आप को व्यस्त रखते हैं लेकिन
​ जैसे ही ​ उत्पादकता ​बढाती है या आप सृजन कर कोई नया कदम उठाते हैं ​​तो आपको खाली समय का अभ्यास भी हो जाता है और जीवन बोझिल भी नहीं लगता। सृजन से नयी ऊर्जा मिलती है

2. आप- आजकल के समय में जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है।

कृष्ण- जीवन का आंकलन करने से जीवन जटिल और भारी हो जाता है। हमें जीवन को सिर्फ जीना चाहिए।

3. आप- हम लगातार नाखुश क्यों रहते हैं?

कृष्ण- चिंता करना तुम्हारा स्वभाव हो चुका है, और यही कारण है की तुम हमेशा दुखी रहते हो।

4 आप- अच्छे और भले लोग ही हमेशा पीड़ित क्यों होते हैं?

कृष्ण- जिस तरह किसी भी हीरे को बिना रगड़े तराशा नहीं जा सकता। सोना भी आग में तपकर ही खरा सोना कहलाता है, उसी तरह भले लोगों को भी कई परीक्षणों से गुज़रना पड़ता है, वे पीड़ित नहीं होते हैं। इन अनुभवों से उनका जीवन कटु नहीं होता ब्लकि और बेहतर होता है।

5. आप- आपके कहने का अर्थ है की इस तरह के अनुभव उपयोगी होते हैं।

कृष्ण- हां, हर प्रकार
​का अनुभव एक​ ​कड़वा शिक्षक है। ​ज़िन्दगी पहले परीक्षा ​लेती ​ है और बाद में पाठ ​पढ़ाती ​ है।

6. आप- जीवन में इतनी सारी परेशानियों के कारण हमें पता ही नहीं चलता है की हम किस दिशा में जा रहे हैं....

कृष्ण- अगर तुम सिर्फ सतही तौर पर चीज़ों को देखोगे तो तुम्हें कभी भी दिशा नहीं समझ आएगी। अपने अंदर देखो। आंखों की मदद से हम सिर्फ देख सकते हैं लेकिन अपने अंदर हृदय में झांकने से हमें रास्ता मिलता है, अपने आत्मा निरक्षण के कारन हमे ​रास्तों को चुनने में मदद मिलती है

7. आप- अधिक चोट क्या सही दिशा में जाने से ​लगाती है या ​असफलता ​मिलाने से लगती है?

कृष्ण- सफलता वो पैमाना है जो दूसरों द्वारा निर्धारित किया जाता है वहीं संतुष्टी का पैमाना आप खुद तय करते हैं।

8. आप- कठिन समय में आप खुद को प्रेरित कैसे रख सकते हैं?

कृष्ण- हमेशा यह देखों की तुम कितनी दूर तक आ चुके हो, इसकी अपेक्षा अगर तुम देखोगे की कितनी दूर और जाना है तो तुम चिंतित होगे। हमेशा अपनी सफलताओं को गिनों, असफलताओं को गिनने से निराशा मिलेगी।​ सफलताएं आपकी क्षमता और आपके मनोनुकूल होने की अवस्था को बताती हैं ​

9. आप- लोगों के बारे में क्या चीजें हमें आश्चर्य में डालती हैं?

कृष्ण- जब वे कष्ट में होते हैं तो वे पूछते हैं की “,मैं ही क्यों "? जब वे उन्नति करते हैं तब वे यह कभी नहीं पूछते की “,मैं ही क्यों" ?

10. आप- मैं अपने जीवन से सर्वश्रेष्ठ कैसे प्राप्त कर सकता हूं?

कृष्ण- अपने भूतकाल का सामना बिना किसी पछतावे के करों। अपने वर्तमान का सामना पूरे आत्मविश्वास के साथ करो। अपने भविष्य की तैयारी निडर होकर करो।

11. आप- एक अंतिम प्रश्न। कभी कभी मुझे लगता है की मेरी प्रार्थनाओं का कोई जवाब नहीं मिलता है।

कृष्ण- कोई भी प्रार्थना अनुत्तरित नहीं होती है। अपने डर को भगाकर आस्था को बनाए रखों। जीवन एक रहस्य है जिसे हमें हल करना है, जीवन कोई समस्या नहीं
​जिसका हमे समाधान खोजना है। रहस्य के कारन ही जीवन हमेशा परिवर्तनशील रहता है, अनुत्तरित रहता है , सुन्दर और अनिश्चित भी रहता है अन्यथा यह एक ढर्रे पर चलता।

अगर कोई एक चीज़ जीवन में स्थिर है तो वह है परिवर्तन और यह परिवर्तन क्या होगा यह किसी को भी नहीं मालूम। जिस दिन हमें अपने जीवन के रहस्य मालूम हो जाएंगे उस दिन जीवन का सौंदर्य समाप्त हो जाएगा.

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